हिम्मत
हिम्मत पसीने में भीगी, थके कदमों से दिव्या अपनी मित्र नीता के साथ जिम करके बाहर आ रही थी। बैकयार्ड के दूसरे छोर पर भूतिया फिल्म के कैरेक्टर जैसे उस व्यक्ति को देख ठिठक कर बोली, "यार, इधर से नहीं चलते हैं। उस शॉपिंग माल का गार्ड बड़ी गंदी नजरों से घूरता है।" "मीन्स दोहरा काम करता है। चल इधर से ही।" कहकर नीता व्यंग्य से मुस्कुरा दी। अंदर बैठे डर ने थके शरीर में सोई हुई स्फूर्ति को जगाया तो दिव्या ने उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा, "यार, उसने कुछ गंदे कमेंट कर दिए तो अच्छा नहीं लगेगा। हम ही रास्ता बदल लेते हैं। तू आज ही आई है, तुझे पता नहीं है कि कैसे खा जाने वाली आंखों से देखता है वह।" "अरे, महीनें से जिमिंग करके भी डरती है उस मरियल से। चल , मैं हूं न।" नीता उसे पकड़कर हिम्मत बंधाती हुई आगे बढ़ी। सामने से उन दोनों को आता देख स्टूल पर बैठा गार्ड सतर्क हो गया। मुंह में बीड़ी दबाए वह एक टक उन्हें देखे जा रहा था। चंद मिनट बाद उसने माचिस की तीली जलाई और बीड़ी सुलगा दी। उन दोनों के पास आते ही बेहयायी से मुस्कराते हुए गार्ड की नजरे चौकन्नी हो उन दोनों ...