पिता और बेटी की व्यथा

पिता और बेटी की व्यथा

थककर जब बैठी तो लगा एक
 पल ठहर जाऊं,
पलट के जिंदगी के उसी दौर में जाऊं।। 

जहां मां-बाप के साए में न फिकर परेशानी,
गोद में सर रखकर जिंदगी का सुकून पाऊं।। 

वह दौर कहां से लाऊं,
फिर बचपन कहां से पाऊ।। 
यदि वह प्यार मुझे मिल जाए, 
बच्चों संग समय बिताऊ।। 

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