पिता बनने का सफर आसान नहीं
पिता बनने का सफर आसान नहीं
मां बनने के नौ महीनों के दौरान घर, परिवार, दोस्त और रिश्तेदार सभी मां का खूब ख्याल रखते है । लेकिन पिता का क्या? उसका ख्याल कौन रखता है ?बाजार में मां के लिए गर्भावस्था पर ढेरों किताबें उपलब्ध हैं । ढेरों आर्टिकल इंटरनेट पर पढे़ जा सकते हैं, लेकिन 'एक पिता कैसे बनें ?', 'क्या करें, जब पिता बनें ?', 'एक बन रहे पिता का ख्याल कैसे रखें ?'
इस तरह की कोई विशेष किताब कहीं नहीं दिखती। हां, यह जरूर हर जगह लिखा दिखता है कि 'पति को अपनी गर्भवती पत्नी के लिए ये करना चाहिए , वो करना चाहिए ।'लेकिन यह कहीं नहीं लिखा होता कि 'पिता बन रहे व्यक्ति का किस तरह ध्यान रखें ? अपनी दोनों गर्भावस्थाओं के बीते उन कुछ महीनों में मैंने ये बातें महसूस की कि जितनी देखभाल कि जरूरत मुझे है, उतने ही मानसिक सपोर्ट की जरूरत मेरे पति को भी है। वह खुद भले ही न जताएं, लकिन उनता भी मूड स्विंग होता है । असल में, गलती किसी की नही,बल्कि हमारे नजरिए की है।
मां बनने में नौ महीने लगते है और वह गर्भ में ही धीरे -धीरे अपने बच्चे को समझना, उसे महसूस करना तथा उससे प्यार करना सीख जाती है । लेकिन हम चाहते है । कि वह उसी दिन पूरी तरह से पिता बन जाए ,जिस दिन उसे यह खबर मिले कि वह पिता बनने वाला है । हमे बन रहे पिता को भी पिता बनने के लिए उतना ही समय देना चाहिए ,जितना मां को दिया जाता है ।
हमें समझना होगा कि जो व्यक्ति पहले दोस्तों के साथ रात-विरात कहीं भी निकल जाता था, एड़वेंचर का शौकीन था, खतरे मोल लेने से नहीं चूकता था, आज वह पहले से ही सारे खतरों को नाप-तोल लेता है ।मेरी एक सहेली ने कहा था- "मैंने महसूस किया कि मां बनने के बाद औरत पहले से मजबूत और पुरूष पहले से ज्यादा कमजोर हो जाता है।वह डरने लगता है, उसकी मर्दानगी उसके माथे पर नहीं चढती , बल्कि वह प्रेम की भावना से भर जाता है।" इसलिए जरूरत है कि हम नई मां के साथ नए पिता के बारे मे भी सोचें।
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