गाँव की चौपाल

     गाँव की चौपाल
गाँव बसै वट बरगद पै, 
तब छाँव रहत तन खींचत सो।। 
बैठि के द्वारे पे बातें करत, 
सब लोगन को मन मोहत सो।। 
इत की उत की अपने घर की, 
यहि बातें सबै को रिझावत हो सो।। 
अब कौन कहां केहि कारन के, 
तेहिं कुशलक्षेम नहि पूछत सो।। 

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