पशुओं से प्रेम

पशुओं से प्रेम

उत्तराखंड के जिले पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली सुषमा शिक्षिका थी, लेकिन अब वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है। पशुओं की देखभाल करती हैं।
सुषमा बताती हैं कि उनके जीवन की दिशा पूरी तरह तब बदल गई, जब उन्होंने एक दिन घायल जानवर को सड़क पर तड़पते हुए देखा। यह क्षण उनके लिए केवल एक दृश्य नहीं, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाला अनुभव था। उन्होंने तत्काल उस जानवर के इलाज के लिए वाहन की व्यवस्था की और वाहन का किराया चुकाने के लिए अपना कीमती गहना दे दिया। यह घटना उनके जीवन यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
बचपन से ही सुषमा को जानवरों के प्रति गहरा लगाव रहा। वह बताती है, "मेरे पिता योगेश्वर प्रसाद ध्यानी को भी पशुओं से लगाव रहा। हालांकि जब मेरे जीवन वह घटना घटी तो मैंने ठान लिया कि अब मैं प्राणियों की आवाज बनूंगी, जो अपनी पीड़ा को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते। इसलिए मैंने शिक्षण कार्य को अलविदा कहकर खुद को पूरी तरह पशु सेवा के लिए समर्पित कर दिया। मैंने सड़क किनारे छोटे-छोटे आश्रय बनाकर घायल, पीड़ित और बेसहारा जानवरों की देखभाल करने से शुरूआत की। पिछले लगभग 25 वर्षों से मैं इस कार्य को निरंतर कर रही हूं, जिसमें मुझे हल्की से भी थकान महसूस नहीं होती है।" 

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