संदेश

सत्य की शीतलता

  सत्य की शीतलता जय और विजय, दोनों मित्र ट हलते हुए बातचीत कर रहे थे कि आदमी के दिमाग से बेहतर कोई मशीन नहीं है। आदमी ने ही कंप्यूटर जैसी मशीन का निर्माण किया है। “हां विजय, तुम सही कह रहे हो”, मित्र जय ने कहा। “लेकिन जय, एक बात आज भी मैं समझ नहीं पाता हूं कि आदमी का दिमाग आज इंश्योरेंस के पैसे लेने के लिए कितने ही झूठ के हथकंडे अपनाता है। कभी तो अपने ही घर में दुर्घटना को अंजाम दे देता है, फिर सगे-संबधियों को भ्रमित करने के ले अनेक पाखंड भी करता है, यानी वह दिखावा तो करता है, लेकिन उसे भगवान का भी भय नहीं होता है”, विजय ने कहा। जय तभी हां में हां मिलाकर बोला, “सही कह रहे हो मित्र, वही दिमाग विस्फोटक सामग्री को भी बनाता है, लेकिन सत्य की जोत तो हर युग में जलती रहती है। वह एक ही होती है, लेकिन झूठ की चालें बदलती रहती हैं और वही चालें हर समय में परिवर्तन भी पैदा करती हैं। राम और रावण आज भी हर दिमाग में जिंदा हैं, लेकिन किसकी श्रध्दा भक्ति कितनी निशछल है, इसके प्रमाण भी हमें यदा-कदा मिलने ही रहते हैं। दुनिया इन दोनों रंगो यानी अच्छाई और बुराई ही चलती है। ईश्वर में विश्वास हमें जीवन के...

जीवन सार

        जीवन सार कर से कमल कमल से कर, कर कंगन से शोभा कर की।।  वर से वधू वधू से वर, वर वधू से है शोभा घर की।।  नर से नारि नारि से नर, नर नारी से बन्धन तन की।।  जन से जनक जनक से जन, जन जीवन से मंगल जन की।। 

मंगलसूत्र

मंगलसूत्र  पूजा सुबह जल्दी उठ गई। रात को भी नींद नहीं आई थी। कमरे से बाहर आकर वह बालकनी में कुर्सी पर बैठ गई और सोचने लगी , आज फिर नौकरी के लिए इंटरव्यू  देने जाना है। वह फिर उलझ गई अतीत के पन्नों में। सात महीने पहले ही उसके पति हरीश का हार्ट फेल हो गया था। बड़ी बेटी पूर्वी आठ साल की, छोटा बेटा हर्ष पांच साल का और घर में सासू मां कोई भी संभालने के लिए नहीं था। पूजा पढ़ी-लिखी थी। उसमें नौकरी करने की योग्यता भी थी। इससे पहले वह तीन बार इंटरव्यू देने जा चुकी, हालांकि निराशा ही मिली थी। पहले जहां गई उन्होंने पूछा, " आप सर्विस क्यों करना चाहती हैं?" दुनिया भर की बातों से बेखबर अपनी सारी बात बताई। इंटरव्यू लेने वाले सज्जन ने कहा, " अभी आप इंतजार करो, दो केंडिडेट और हैं, मैं फिर आपसे बात करता हूं।" फिर बोले, " पास में ही रेस्टोरेंट हैं, वहाँ बैठ कर बात करते हैं और साथ में चाय भी हो जाए।" पूजा को कुछ ठीक नहीं लगा, वह बहाना बनाकर घर आ गई। दूसरी जगह भी पूजा ने सरलता के साथ सारी बात की। इंटरव्यू लेने वाले ने कहा, " अभी आपकी उम्र ही क्या है। आपको देखकर नहीं लगता ...

रावण की कार्यशैली

    रावण की कार्यशैली देव दनुज दानव दल दहले,  दिल दहलाया है।।  तिथि दशमी को दशरथ के लाल ने ,  दशभाल को गिराया है।।  देव दानव और दिग्गज उससे डरते थे,  घर में उसके अग्नि वायु पानी भरते थे।।  चली चाल चतुरंग,  चपल चपला चमकाया है।।  तिथि दशमी को दशरथ के लाल ने,  दशभाल को गिराया है।। 

गाँव की चौपाल

      गाँव की चौपाल गाँव बसै वट बरगद पै,  तब छाँव रहत तन खींचत सो।।  बैठि के द्वारे पे बातें करत,  सब लोगन को मन मोहत सो।।  इत की उत की अपने घर की,  यहि बातें सबै को रिझावत हो सो।।  अब कौन कहां केहि कारन के,  तेहिं कुशलक्षेम नहि पूछत सो।। 

यादें

यादें  कुछ यादें मन के झरोखे पर सिमटकर रह जाती है        भूले-बिसरे वे कभी-कभी हमें          बहुत कुछ याद दिलाती हैं वो अमिट यादें, जो हमारी धरोहर हैं      हमारे मन में बस जाती हैं            पर कुछ यादें       दिल से नहीं निकल पाती हैं           भूलना ही जीवन है       और वर्तमान बस हमारा है        अतीत को याद करना,      विडंबना और भुलावा है       अतीत बीत जाता है,      हर क्षण समय के साथ        आगे बढ़ जाता है       पर ये यादें परछाइयां       बन साथ निभाती हैं           मन-बेमन    उभर-उभर कर आती हैं         दुखद यादों को       अतीत के सागर में          डुबो कर ही        हम जी सकते है...

बीच के बच्चे की व्यथा

बीच के बच्चे की व्यथा  बच्चे हमेशा शिकायतें करते हैं । उन्हें हमेशा लगता है कि आप किसी एक से ज्यादा और उनसे कम प्यार करती है। इसी क्रम में बड़ा बच्चा हमेशा इस बात से परेशान रहता है कि आप छोटे  को ज्यादा लाड़ करती हैं तो छोटे को लगता है कि आप केवल बड़े की बात सुनती है, उसकी तारीफ करती और उसकी पसंद का ख्याल रखती हैं । मगर इन दोनों के बीच वाले बच्चे का क्या ? क्या उसे भी आपसे यही शिकायतें रहती हैं या वह आपसे शिकायतें करने से बचता है ?  असल में माता-पिता अपने छोटे और बड़े बच्चे की इच्छाएं इस कदर पूरी करने में लग जाते हैं कि कब उनका ध्यान अपनी बीच की संतान से हट जाता है, उन्हें भी पता नहीं चलता । इस स्थिति में माता-पिता का ध्यान न पाकर मंझली संतान खुद को साबित करने में लग जाती है । उसे परिवार में होकर भी अकेलापन महसूस होने लगता है । वह अपने भाई-बहनों से ईर्ष्या और अपर्याप्तता महसूस करने लगती है, जिस पर माता-पिता का ध्यान कम ही जाता है । मनोविज्ञान मंझले बच्चे की इस भावना को 'मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम' का नाम देता है । अक्सर माता-पिता अपने इस मंझले यानी बीच की संतान को समझदार मानकर...

प्रेरणादायक कहानी

बच्चा और मोबाइल   मुन्ना बहुत ऊंची आवाज में रो रहा था और आवाज धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी। श्रीमती जी भागती हुई रसोई से आई और बोली, "क्या हुआ, यह इतना क्यों रो रहा है ? आप चुप क्यों नहीं करवा रहे इसे? दो मिनट के लिए भी मुन्ने को संभाल नहीं सकते हो क्या? शांति से रोटी भी नहीं बना सकती।" श्रीमान जी बोले, "मैंने क्या किया ? शांति से बैठा टीवी देख रहा था । अचानक मेरे हाथों से मेरा मोबाइल छीनने लगा। मैंने हटाया तो रोने लगा ।  अब टीवी  के साथ-साथ मोबाइल भी दे दूं क्या इसे ? आंखें खराब करवानी है क्या बच्चे की ? " मम्मी-पापा की बहस देख मुन्ना खुद ही चुप हो चुका था और दोनों को ध्यान से देख  रहा था।  श्रीमती जी बोली, "तो क्या, थोड़ी देर के लिए दे देते। रूला दिया बेचारे को।" श्रीमान जी बोले, "टीवी देख तो रहा है। अगर इसे अभी से मोबाइल पकड़ा। दिया तो लत लग जाएगी। वैसे भी बिना मोबाइल के अब मुन्ना कुछ नही करता। खाना खिलौना है तो मोबाइल चाहिए, कपड़े बदलने हैं तो मोबाइल चाहिए, कोई काम करवाना है तो मोबाइल चाहिए, रोते-रोते चुप करवाना है तो मोबाइल चाहिए। अब तो बिना बात ...

प्रेरणादायक कहानी

  आज खामोश हूं आज खामोश हूं कोई सवाल नहीं... खुद के पूछे गुनाह ,तो कोई हिसाब नहीं। जंग-सा लगा है थोड़ा मुकद्दर को मेरे... मगर अभी हार जाऊं मैं,ऐसी कोई चाह नहीं। मोहब्बत उसको मिलती है जिसका नसीब होता है, बहुत कम हाथों में ये मोहब्बत की लकीर होती है। कभी कोई अपनी मोहब्बत से न बिछड़े, कसम से ऐसे हालात में बहुत तकलीफ होती है।

प्रेरणादायक कहानी

  यह घर-घर की कहानी सड़क पर चलते हुए कोई न कोई व्यक्ति किसी न किसी से लड़ते-झगड़ते मिल जाती हैं । सोशल मीडिया खोलें तो आक्रोश भरे संवाद और टिप्पणियां सुनने  को मिल जाती हैं । परिवार में छोटी-छोटी बातों पर पारिवारिक कलह हो जाती है । आज समाज की यह स्थिति दर्शा रही है कि लोगों के अंदर सहनशीलता और धैर्य की कमी हो रही है, जो गुस्से के रूप में सामने आ रही है । 'गैलप वर्ल्ड पोल' की रिपोर्ट समेत कई अध्ययन इस बात की पुष्टि भी कर रहे हैं कि पूरी दुनिया में पिछले कुछ दशकों में पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं में भी गुस्से की भावना बढ़ी है, जो कि चिंता का विषय है । आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के अनुसार गुस्सा एक क्षणिक पागलपन है, जो हमारे भीतर की असुरक्षा, अधीरता और अज्ञानता का परिणाम है । जब हम अपने ऊपर नियंत्रण खो देते है, तब गुस्सा आता है । यह एक ऐसा भाव है, जो न तो हमारी समस्याओं को सुलझाता है और न ही किसी रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि यह हमें और दूसरों को कष्ट ही देता है । असल में, गुस्सा तब आता है, जब चीजें हमारी अपेक्षा के अनुसार नहीं होती । इसका मूल कारण हमारी अपेक्षाएं और अधीरत...